शेर और भालू की कहानी

शेर और भालू कहानी 

                एक जंगल मे सालों पहले एक श्याम नाम का शेर रहता था, वह शेर काफी चालक था, इसे हर एक जानवर से दोस्ती करके उसका फायदा उठाने मे खूब मजा आता था शेर सबसे अपना काम करवाने के बाद दूसरो को जरूरत पड़ने पर पीठ दिखा देता था जंगल मे सभी को पता चल चुका था की सबसे दोस्ती करके अपना मतलब निकलता हैं और फिर दूसरे की मदद नहीं करता अब सभी लोग उस शेर से दूर रहने लगे जंगल मे दोस्तों की तलाश मे घूमते घूमते बहुत समय बीत गया लेकिन शेर को कोई नहीं मिला एक दिन वो जब अपनी गुफा मे जा रहा था तो उसने देखा की एक बूढ़ा भालू भी उसकी गुफा के पास घर बनाकर रह रहा था उसके मन मे हुआ की इस बार भालू से दोस्ती करके उसका फायदा उठाने मे बड़ा मजा आएगा रोज शेर यही सोचता था की किसी तरह भालू से बात हो जाए दो -तीन दिन बीत गए लेकिन उसे भालू से बात करने का कोई बहाना नहीं मिला एक दिन उसने देखा की भालू तो बूढ़ा हैं उसके मन हुआ कि यह बूढ़ा भालू मेरे क्या काम आएगा l 

                                                                      इससे दोस्ती करने का क्या फायदा नहीं हैं एक दिन शेर ने भालू को चिड़ियों से बात करते हुए सुना चिड़िया भालू से पूछ रही थी आप इतने बूढ़े हो गए हो तो अपने लिए खाना कैसे जुटाते हो भालू ने चिड़िया को बताया पहले तो मे मछली पकड़कर खा लेता था लेकिन अब मे एसा नहीं कर पाता इसका मतलब यह नहीं हैं की ,मै भूखा रहता हु मे अब शहद खाता हूँ उसका स्वाद बहुत मीठा और अच्छा लगता हैं इसके लिए मुझे अंदर घने जंगल मे जाना होता हैं और मधुमाखियों से शहद लेकर आना पड़ता हैं यह सारी बाते सुनने के बाद शेर के मन मे हुआ की मैने भी कभी शहद नहीं चखा हैं अब इस भालू से दोस्ती करके मे शहद का स्वाद चख सकता हूँ इसी सोच के साथ शेर ने एक योजना बनाई उस योजना के तहत शेर भालू के पास गया और कहने लगा आपने मुझे पहचना आप जब जवान थे तो आपने मुझे एक दिन कुछ मछलियों तालाब से निकल कर खिलाई थी आपने मेरी  इस तरह  बहुत  बार मदद की हैं मे हर बार खो जाता था और आपसे ही टकराता था भालू को कुछ याद नहीं आ रहा था उसने सोचा की इतने सालों पुरानी बात हैं हो सकता हैं कि कभी इसकी मैने मदद की हो भालू सोच ही रहा था तब तक शेर ने कहा अच्छा मै चलता हूँ कभी कोई जरूरत को तो मुझे याद करना इतना कहकर शेर आओनी गुफा की ओर चला गया भालू भी अपने घर चला गया लेकिन उसके दिमाग मे शेर की बाते घूम रही थी उसने सोचा चलो कोई तो हैं जिससे बाते कर सकता हूँ अगले दिन शेर ने भालू से बातचीत शुरू की इसी तरह शेर धीरे धीरे भालू से दोस्ती करने लगा एक दिन शेर ने भालू को आपने घर खाने पर बुलाया इधर भालू खाने का निमत्राण    


मिलने से बड़ा खुश था । उधर शेर ने सोच लिया था की किसी तरह से वो भालू को रात को खाना खाने नहीं देगा उसके मन मे था की मे अपना खाना किसी को क्यू खाने दू मे एक ही थाली मे खाना लगऊँगा और उसे जल्दी खत्म कर दूंगा रात के समय जब भालू आया तो शेर ने ऐसा ही किया वो एक थाली मे खाना लेकर आया दोनों साथ मे खाने के लिए बेठे भालू बूढ़ा था वो आराम से खाना शुरू करने लगा तभी शेर ने तेजी से खाना शुरू किया औरकुछ ही समय मे खाना खत्म कर दिया भालू बहुत निराश हुआ और शेर ने कहा दोस्त मे एसे ही खाना खाता हूँ दुखी मन से भालू वापस अपने घर आ गया अगले दिन चिड़िया ने भालू से पुछा क्या हुआ तुम इतने दुखी क्यू हो भालू ने रात  


को शेर के घर मे हुई सारी बाते बता दी चिड़िया ने हंसते हुए पुछा तुम्हें नहीं पता शेर कैसा हैं वो हमेशा सबसे दोस्ती  करता हैं और फिर उनका फायदा उठकर चला जाता हैं वो कभी   किसी की मदद नहीं करता अब तुम्हें किसी तरकीब से उसे सबक सीखना चाहिए इतना कहकर चिड़िया वहा से उड़ गई भालू ने भी ठान ली की वो अब शेर को सबक जरूर सिखाएगा इसी सोच के साथ भालू एक बार फिर शेर की गुफा मे गया उसने बिल्कुल सामान्य तरीके से उससे बात की उसने शेर को लगने ही नहीं दिया की उसे रात की बात का बुरा लगा हैं दोनों बाते करने लगी बातों ही बातों मे शेर ने भालू से पूछा दोस्त तुम अपना रोज का खाना कहा से लेते हो भालू ने शेर को शहद के बारे मे बता दिया शेर ने शहद का नाम सुनते ही कहा दोस्त तुमने तो आज तक मुझे शहद चखया ही नहीं यह बात सुनते ही भालू के मन हुआ अब शेर को सबक सीखने का मुका मिल गया उसने कहा तुम्हें शहद खाना हैं इतनी सी बात तुम रात को मेरे घर खाने पर आ जाना मे तुम्हें शहद खिला दूंगा शेर बड़ा खुश हुआ वो रात होने का बेताबी से इटनजर करने लगे रात होते ही शेर तेजी से भालू की गुफा की तरफ बढ़ा शेर के आते ही भालू उसका स्वागत किया और बेठने के लिय कहा उसके बाद भालू ने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया शेर ने पुछा तुम दरवाजा बंद क्यू किया भालू ने कहा अगर शहद की खुसबू किसी ओर ने सुघ ली तो वो यह आ जाएगा इसीलिए दरवाजा बंद करना जरूरी हैं अब भालू ने मधुमखी का एक छता लाकर शेर के सामने रख दिया और कहा की इसी क अंदर शहद हैं जैसे ही शेर ने उसके अंदर मुह दल तो उसे मधुमखी ने काटना शुरू कर दिया उसके पूरे चहरे पर सूजन हो गई शेर जिस ओर भी भागता मधुमखी उसका उधर पीछा करती आखिरी मे शेर ने भालू से पूछा तुमने मुझे बताया क्यों नहीं की शहद कैसे खाना है, भालू ने तमतमाते हुए कहा की मे शहद ऐसे ही खाता हु शेर समझ गया की भालू ने उससे बदला लिया है इसलिए वो वहा से चुपचाप चला गया l 
                     इस कहानी से सीख मिलती है की अगर किसी से मदद लो तो उसकी भी मदद करने के लिए तैयार भी रहो, हम दूसरों के साथ बुरा करेंगे तो हमारे साथ भी बुरा हु होगा क्योंकि कर्म किसी को नहीं छोड़ता l 

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धन्यवाद   

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