करवाचौथ 2023 व्रत कथा

 

करवाचौथ की कहानी 

                       एक साहूकार था जिसके 7 बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। 1 दिन कार्तिक की चौंध का व्रत आया तो भाई बोला की बहन आओ भोजन करें। बहन बोली कि आज चौथ का व्रत है चाँद उगने पर खाऊंगी । भाई तब भाइयों ने सोचा की चाँद उगने तक चाँद उगने तक बहन भूखी रहे गी तो एक भाई ने दीया जलाया, दूसरे भाई ने छलनी लेकर उसे ढाका और नकली चाँद दिखा कर बहन से कहने लगे कि चल बहन चाँद उग आया है अर्घ्य दें लें । बहन अपनी भाभियों से कहने लगी की चलो अर्घ्य दे तो भाभि बोली तुम्हारा चाँद उगा होगा हमारा चाँद तो रात को उगेगा । बहन ने जब अकेले ही अर्घ्य दें लिया और खाने लगी तो पहले ही ग्रास में ही बाल आ गया, दूसरे ग्रास में कंकड़ आया और जब तीसरा ग्रास मुँह की ओर किया तो उसकी ससुराल से संदेशा आ गया की उसका पति बीमार है। जल्दी भेजो 


माँ ने जब लड़की को विदा किया तो कहा कि रास्ते में जो मिले उसके पांव छूना और जो कोई सुहाग क आशीष दे तो पहले मैं गांठ लगाकर उसे कुछ रुपये देना। बहन जब भाइयों से विदा हुई तो रास्ते में जो भी मिला उसने यही आशीष दिया कि तुम सात भाइयों की बहन हो तुम्हारे भाई सूखी रहे और तुम उनका मुख देखो। सुहाग का आशीष किसी ने भी नहीं दिया। जब वह ससुराल पहुंची तो दरवाजे पर उसकी छोटी ननद खड़ी थी, वह उसके भी पांव लगी तो उसने कहा कि सुहागन रहो  सपूती हो तो उसने यह सुनकर पल्ले में गांठ बांधी और ननद को सोने का सिक्का दिया। तब भीतर गई तो सास ने कहा कि उसका पति धरती पर पड़ा है तो वह उसके पास जाकर उसकी सेवा करने के लिए बैठ गई। बाद में सास ने दासी के हाथ बची कुची रोटी भेज दी इस प्रकार से समय बीतते बीतते मंगसिर की चौंध आई तो चौथमाता बोली करवा ले, करवा ले, भाइयों की प्यारी करवा ले, लेकिन जब उसे चौथमाता नहीं दिखी तो वह बोलीं कि हे माता आपने मुझे उजाड़ा तो आप ही उद्धार करोगी। आपको मेरा सुहाग देना पड़ेगा तब उस चौथमाता ने बताया कि पौष की चोथ आएगी वह मेरे से बड़ी है उसे ही सब कहना वही तुम्हारा सुहाग देगी। पौष की चौथ आकर चली गई माघ की, फाल्गुन की चौथ आकर चली गई चैत, बैशाख, जेट, असाढ़

 




 

  और सावन, भादो की सभी चौथ आई और यही कहकर चली गई के आगे वाली को कहना। कुआर की चौथ आई तो उसने बताया कि तुम पर कार्तिक की चौथा नाराज उसीने तुम्हारा सुहाग लिया है, वही बापस कर सकती है। वही आएगी तो उसी तो उसका पांव पकड़कर बिन्ती करिये यह बताकर वह भी चली गई।



 जब कार्तिक की चौथ आई तो वह गुस्से में बोली- भाइयों की प्यारी करवा ले, दिन में चाव उगानी करवा ले, व्रत खंडन करने वाली करवा ले, भूखी करवा ले, तो यह सुनकर वह चौथमाता को देखकर उनका पांव पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी। हे चौथ माता मेरा सुहाग तुम्हारे हाथ मैं हैं आप ही मुझे सुहागन करें तो माता बोली पापणी हत्यारनी मेरा पांव पकड़कर क्यों बैठ गयी? तब बहन बोली कि जो मुझसे भूल हुई उसे क्षमा कर दो अब भूल नहीं करूँगी तो चौथमाता ने प्रसन्न होकर आँखों में काजल, नाखूनों में मेहंदी आर टोको में से रोली लेकर छोटी उँगली से उसके आदमी पर छींटा दिया तो वह उठकर बैठ गया और बोला कि आज मैं बहुत सोया। वह बोली क्या सोया मुझे तो 12 महीने हो गए अब जाकर चौथमाता ने सुहाग लौटाया तब उसने कहा कि जल्दी से माता का आचमन करो जब चौथ की कहानी सुनी करवा पूजन किया तो प्रसाद खाकर दोनों पति पत्नी चौपड़ पासे खेलने बैठ गए नीचे से दासी आई उसने उन दोनों को चौपड़ पासे से खेलते देखा तो उसने सासूजी को जाकर बताया तबसे सारे गांव में यह प्रसिद्धि होती गई की जब स्त्रियॉँ चौथ का व्रत करें तो सुहाग अटल रहेगा जिसतरह से सुहाग साहूकार की बेटी को सुहाग दियां उसी तरह से चौथमाता सबको सुहागन रखें यही करवा चौथ के व्रत की पूर्णतः महिमा है।


 

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