हाथी और बंदर की दोस्ती

हाथी और बंदर की दोस्ती - कहानी

एक जंगल मे एक बंदर और एक हाथी रहते थे हाथी बड़ा शक्तिशाली था वो बड़े बड़े पेड़ों को एक ही झटके मे उखाड़ देता हैं बंदर काफी दुबला पतला लेकिन वो बड़ा ही फुर्तीला और तेज था दिनभर बंदर जंगल के पेड़ों पर उछल कूद करता रहता था बंदर और हाथी दोनों को ही अपने गुणों पर बड़ा ही घमंड था दोनों ही एक दूसरे से खुद को  ज्यादा अच्छा मानते थे इस वजह से दोनों मे हमेशा बहस होती रहती थी 

 
उसी जंगल मे एक उल्लू भी रहता था जो की अक्सर बंदर और हाथी की हरकते देखता था वह इन दोनों के लड़ाई झगड़े से परेशान हो गया था एक दिन उस दिन उल्लू ने उन दोनों से कहा जिस तरह तुम दोनों लड़ते हो इससे कोई फेसला नहीं होने वाला हैं तुम दोनों एक प्रतियोगिता के जरिए आसानी से यह फेसला कर सकते हो की तुम दोनों मे से सबसे शक्तिशाली कोन हैं बंदर और हाथी दोनों को उल्लू की बात अच्छी लगी दोनों ने फिर एक साथ पुछा इस प्रीतियोगिता मे की करना हैं उल्लू ने कहा इस जंगल को पार करने पर एक दूसरे जंगल आता हैं जहा पर एक काफी पुराना पेड़ हैं जिस पर एक सोने का फल लगा हुआ हैं तुम दोनों मे से उस सोने के फल को जो पहले लाएगा उसे ही इस प्रीतियोगिता का विजेता बनाया जीएगा और असल मायनों मे सबसे शक्तिशाली कहलाएगा उल्लू की बात सुनते ही बंदर ओर हाथी बिना कुछ सोचे समझे दूसरे जंगल की तरफ निकले बंदर ने अपनी फुर्ती दिखानी शुरू की । वह एक ही छलाग मे एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक पहुच जाता वही हाथी तेजी से दोरने लगा और रास्ते मे आने वाली हर चीज को अपने मजबूत सूंड से उखाड़ फेकता थोड़ी ही देर मे हाथी और बंदर उस जंगल से बाहर निकल गए इस जंगल से दूसरे जंगल के बीच के रास्ते मे एक नदी बहती थी उससे पार करने के बाद ही दूसरे जंगल मे पहुचा जा सकता था 
बंदर ने फिर से अपनी फुर्ती दिखाई और झट से वह नदी मे कूद गया लेकिन पानी की लहर काफी तेज थी तो बंदर नदी मे बहने लगा बंदर को नदी मे बहते हुए देखकर हाथी ने तुरंत अपनी सूंड से उसे पकड़कर पानी से बाहर निकाल दिया हाथी के इस व्याहर को देखकर बंदर काफी हैरान हुआ उसने विनम्र होकर हाथी को अपनी जान बचाने के लिए धयंबद कहा और अपनी हार मानते हुए हाथी को ही आगे का सफर तय करने के लिए कहा बंदर की इस बात को सुनकर हाथी ने कहा मे नदी पार कर सकता हूँ
                                                           
                                     तुम भी मेरी पीठ पर बेठकर इसे पार कर लो बंदर हाथी पर बेठ गया इस तरह दोनों ने नदी पार कर ली और दूसरे जंगल मे पहुच गए फिर दोनों ने मिलकर सोने के लगे हुए फल वाले पेड़ को भी खोज निकाला सबसे पहले हाथी ने अपनी सूंड से उस पेड़ को गिरना चाहा लेकिन वह को पेड़ काफी मजबूत था हाथी के प्रहर से वो पेड़ नहीं उखड़ा फिर हाथी ने निराश होकर कहा मे अब फल नहीं तोड़ सकता हूँ बंदर बोला चलो मे भी एक बार कोशिस कर के देखता हूँ बंदर फुर्ती से उस पेड़ पर चलने लगा और उस डाली पर पहुच गया जहा पर सोने के फल लगा हुआ था उसने वह फल तोड़ लिया और पेड़ के नीचे उतर गया इसके बाद दोनों वापस नदी पार करके अपने जंगल लोट आए और उल्लू को वह सोने का फल दे दिया फल पाने के बाद उल्लू जैसे ही इस प्रतियोगिता के लिए विजेता का नाम बोल वेसे ही बंदर और हाथी ने मिलकर उसकी बात को रोक दिया दोनों ने एक साथ कहा

उल्लू दादा अब हमे विजेता का नाम जानने की आवश्यकता नहीं हैं इस प्रतियोगिता को हम दोनों ने मिलकर पूरा किया हैं हमे यह समझ मे आ गया हैं की हर किसी गुण अपने आप मे अलग और खास होता हैं हमने यह भी फैसला किया हैं की आगे से हम कभी भी इस बात पर बहस भी नहीं करेंगे और मित्र की तरह इस जंगल मे रहंगे । उल्लू को बंदर और हाथी की बात सुनकर काफी खुशी हुई उसने दोनों से कहा मे तुम्हें यही समझना चाहता था की सभी एक दूसरे से अलग होते हैं अलग अलग गुण और शक्तीया ही हमे एक दूसरे की मदद करने के काबिल बनाती हैं साथ ही हर किसी की अपनी कंजोरिया भी होती हैं इसलिए एक दूसरे के सतह मिलकर रहना ही सबसे अच्छा होता हैं उसी दिन से हाथी और बंदर दोनों मित्र हो गए और वह जंगल मे खुशी खुशी रहने लगे । 

                                                                      कहानी से सीख 

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि हमे एक दूसरे के गुणों और शक्तियों का सम्मान करना और आपस मे मिल -जुलकर रहना चाइए । 

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